देवी भगवती इस बार कई विशिष्ट योग-संयोग के साथ अश्व पर सवार होकर अपने मंडप और घरों में विराजमान होंगी।

कया आपको पता है इस बार कई विशिष्ट योग पर पड़ रही है नवरात्र, 1962 के बाद 58 साल के अंतराल पर आई है ऐसी नवरात्र




नवरात्रि (Navratri 2020) के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है। इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। हिन्दू पंचांग कॉल गणना के अनुसार यह नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं। और कैलेंडर के अनुसार यह त्योरहार हर साल सितंबर-अक्टूबर के महीने में आता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक है। 26 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा मनाया जाएगा।  
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नवरात्रि से जुड़े कई रीति-रिवाजों के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। कलश स्थापना शुभ समय 

घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारणवश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं,  तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। यह 40 मिनट का होता है। हालांकि, इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त


कलश स्थपना की तिथि: 17 अक्टूबर 2020
 
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2020 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक।
कुल अवधि: 03 घंटे 49 मिनट

कलश स्थापना कैसे करें

नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें। अगर हो सके तो अपने पुरोहित को बुला ले नहीं तो खुद ही
मंदिर की स्वच्छ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं और कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं  और मंदिर में माता की मूर्ति अथवा फोटो के सामने रख दें

 अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।  लोटे के ऊपरी हिस्सेे में मौली बांधें। अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाले।  फिर उसमें तांबे का सिक्का, दूब, सुपारी, और अक्षत डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पाँच पत्ते ऊपर रखते हैं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें।  फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें। अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमे आपने जावा बोएं हैं।

कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहते हैं तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।लेकिन ध्यान रखें अखंड ज्योति 9 दिन से पहले बुझीनी नहीं चाहिए

शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ शनिवार 17 अक्तूबर को हो रहा है। पुरुषोत्तम मास की वजह से पितृ-विसर्जन अमावस्य़ा के एक माह बाद नवरात्र प्रारम्भ हो रहे हैं। देवी भगवती इस बार कई विशिष्ट योग-संयोग के साथ अश्व पर सवार होकर अपने मंडप में विराजमान होंगी। इस बार 58 साल बाद अमृत योग की वर्षा हो रही है। 
  
कई विशिष्ट योग इस बार पड़ रही है नवरात्र पर
1962 के बाद 58 साल के अंतराल पर शनि व गुरु दोनों नवरात्रि पर अपनी राशि में विराजे हैं, जो अच्छे कार्यों के लिए दृढ़ता लाने में बलवान होगा। नवरात्रि पर राजयोग, द्विपुष्कर योग, सिद्धियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धियोग और अमृत योग जैसे संयोगों का निर्माण हो रहा है। इस नवरात्रि दो शनिवार भी पड़ रहे हैं।शारदीय नवरात्र (अश्विन) को देवी ने अपनी वार्षिक महापूजा कहा है। इसी नवरात्र को मां भगवती अपने अनेकानेक रूपों- नवदुर्गे, दश महाविद्या और षोड्श माताओं के साथ आती हैं। देवी भागवत में देवी ने शारदीय नवरात्र को अपनी महापूजा कहा है।

घट स्थापना का मुहूर्त ( शनिवार) 
शुभ समय - सुबह  6:27 से 10:13 तक ( विद्यार्थियों के लिए अतिशुभ)

अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:44 से 12:29 तक (  सर्वजन)
स्थिर लग्न ( वृश्चिक)- प्रात: 8.45 से 11 बजे तक ( शुभ चौघड़िया, व्यापारियों के लिए श्रेष्ठ)कोई तिथि क्षय नहीं, पूरे नवरात्र है इस वर्ष

इस बार शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्टूबर के बीच रहेंगे हालाँकि नवरात्र के नौ दिनों में कोई तिथि क्षय तो नहीं होगी लेकिन 25 तारिख को नवमी तिथि सुबह 7:41 पर ही समाप्त हो जाएगी। इसलिए नवमी और विजयदशमी (दशहरा) एक ही दिन होंगे। 

नवरात्र: किसी तिथि का क्षय नहीं 
प्रतिपदा - 17 अक्टूबर 
द्वितीय - 18 अक्टूबर 
तृतीया  - 19 अक्टूबर 
चतुर्थी - 20 अक्टूबर 
पंचमी - 21 अक्टूबर 
षष्टी - 22 अक्टूबर 
सप्तमी - 23अक्टूबर 
अष्टमी - 24 अक्टूबर 
नवमी - 25 अक्टूबर

इन बातों का ध्यान रखें- शारदीय नवरात्र पर जौ बोएं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है

कोरोना काल के कारण वातावरण शुद्ध करने के लिए पीली सरसो या हल्दी, सेंधा नमक और लोंग से आहारी करें


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